"क्लीन शिखर" एक विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्य है हमारे पवित्र पहाड़ों, नदियों और धार्मिक स्थलों की सफाई और संरक्षण। यह मिशन "क्राम आस्था" की एक पहल है, जो न केवल भक्ति को महत्व देती है, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण की पवित्रता को भी उतना ही जरूरी मानती है।
भारत के अनेक पहाड़ों, झीलों, जलाशयों और धार्मिक स्थलों का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यहां हज़ारों श्रद्धालु भक्ति भाव से दर्शन के लिए आते हैं, परंतु: पिकनिक या दर्शन के दौरान वे अक्सर भोजन, प्रसाद और प्लास्टिक डिस्पोजेबल्स लेकर आते हैं। खाने के बाद कचरा वहीं छोड़ देते हैं — चाहे वह डिस्पोजेबल प्लेट्स हों, चाय के कप हों, प्लास्टिक की थैलियां हों या बचा हुआ खाना। कई लोग इन कचरों को वहीं जला भी देते हैं, जिससे ध्वनि, वायु और मिट्टी प्रदूषण होता है। धीरे-धीरे ये पवित्र स्थान कचरे के ढेर में तब्दील हो जाते हैं।
क्लीन शिखर मिशन उन्हीं पहाड़ों और धार्मिक स्थलों की सफाई करता है जिनका धार्मिक महत्व है — जहाँ देवी-देवताओं के मंदिर, आश्रम या शक्तिपीठ स्थित हैं। हमारा उद्देश्य है कि: श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाए कि वे जहां दर्शन के लिए जा रहे हैं, वहां का संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र बना रहे। कचरा न फेंकें, न जलाएं, बल्कि उचित रूप से निपटाएं। वहां के स्थानीय लोगों और ट्रस्ट्स को साथ लेकर स्थायी सफाई व्यवस्था तैयार की जाए।
हम दुनिया भर से स्वयंसेवकों को आमंत्रित करते हैं। एक साफ-सफाई यात्रा आयोजित करते हैं। वहां पहुंचकर श्रमदान करते हैं: कचरा उठाते हैं, उसे वर्गीकृत करते हैं और जिम्मेदारी से निपटाते हैं। संबंधित प्रशासन और धार्मिक संस्थानों से मिलकर स्थायी समाधान सुझाते हैं। लोगों को खुद प्रेरित करते हैं कि वे अगली बार वहां जाएं तो कोई कचरा न करें। हमारा उद्देश्य है कि: श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाए कि वे जहां दर्शन के लिए जा रहे हैं, वहां का संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र बना रहे। कचरा न फेंकें, न जलाएं, बल्कि उचित रूप से निपटाएं। वहां के स्थानीय लोगों और ट्रस्ट्स को साथ लेकर स्थायी सफाई व्यवस्था तैयार की जाए।
हम मानते हैं कि भक्ति में स्वच्छता का होना अनिवार्य है। अगर हम किसी देवता या प्रकृति को पूजते हैं, तो हमें उनके स्थानों को गंदा करने का अधिकार नहीं है।
Ram Astha Mission i s a group of enthusiastic and passionate individuals working together to promote eco-friendly practices, empower communities and conserve the natural resources like wind, soil and water for future generations.